Happy independence day 2022: आजादी के बाद भारत के लोगों को मिल चुकी प्रमुख स्वास्थ्य योजनाएं
Independence day 2022: आज भारत अपना 76वां स्वतंत्रता दिवस गर्व सेमना रहा है। भारत ने इन 75 वर्षों में सिर्फ ब्रिटिश शासन से ही नहीं बल्कि बीमारियों और स्वास्थ्य परेशानियों से भी आजादी पाई है। चलिए जानते हैं भारत सरकारों द्वारा पिछले 75 वर्षों में चलाई गई प्रमुख स्वास्थ्य योजनाएं व पॉलिसी।
Happy independence day 2022
आज भारत आजादी के 75 वर्षों को पूरा करके 76वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। ब्रिटिश शासन से आजादी के बाद भारत ने एक और नई आजादी की जंग लड़ी है और वह है स्वास्थ्य की जंग। इन 75 वर्षों में भारत प्रगति की तरफ तेजी से बढ़ा है, जिसमें हेल्थ सेक्टर भी काफी एडवांस हुआ। जीवन प्रत्याशा दर का बढ़ कर 75 वर्ष होना हो या फिर शिशु और मातृ मृत्यु मृत्यु दर मं कमी आना हो, न जानें कितने मील के पत्थर भारत ने पार किए हैं। भारत ने न सिर्फ ब्रिटिश राज से मुक्ति पाई बल्कि स्मॉलपॉक्स, कुष्ठ रोग, पोलियो और गिनी वॉर्म जैसी बीमारियों से भी खुद को आजाद किया है। वैक्सीन बनाने और उपलब्ध कराने की क्षमता तो उल्लेखनीय है और उसके बारे में कहने की भी जरूरत नहीं है। आज भारत के स्वतंत्रता दिवस (Independence day of India) के मौके पर हम आपको ऐसी प्रमुख हेल्थ पॉलिसी और स्कीम के बारे में बताने वाले हैं, जो भारत ने पिछले 75 वर्षों में शुरू की हैं।
राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम (National Leprosy Eradication Programme)
Happy independence day 2022 राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम का उद्देश्य क्या है?
कार्यक्रम के मुख्य उद्देश्य:-
कुष्ठ रोग को प्राथमिक अवस्था में पहचान कर शीघ पूर्ण उपचार करना। संक्रामक रोगियों का शीघ्र उपचार कर संक्रमण की रोकथाम। नियमित उपचार द्वारा विकलांगता से बचाव। विकृतियों का उपचार कर रोगियों को समाज का उपयोगी सदस्य बनाना।
लेप्रोसी या कुष्ठ रोग एक जीर्ण संक्रमण है, जिसका असर व्यक्ति की त्वचा, आंखों, श्वसन तंत्र एवं परिधीय तंत्रिकाओं पर पड़ता है। यह मायकोबैक्टीरियम लैप्री नामक जीवाणु के कारण होता है। हालांकि यह बीमारी बहुत ज्यादा संक्रामक नहीं है, लेकिन मरीज के साथ लगातार संपर्क में रहने से संक्रमण हो सकता है।
नेशनल लेप्रोसी रेडिकेशन प्रोग्राम (NELP) को भारत से कुष्ठ रोग को मिटाने के लिए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा चलाया गया था। इस प्रोग्राम का मुख्य लक्ष्य लोगों को लेप्रोसी के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी प्रदान करना था, ताकि इससे होने वाली विकलांगता और फैलाव के खतरे को कम किया जा सके। इसे पहली बार 1955 में लॉन्च किया गया था। 1983 में राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम को राष्ट्रीय कुष्ठ नियंत्रण कार्यक्रम की निरंतरता के रूप में शुरू किया गया था।
पल्स पोलियो टीकाकरण कार्यक्रम (Pulse Polio Immunisation Programme) Happy independence day 2022
पल्स पोलियो का कार्यक्रम क्या है?
पल्स पोलियो प्रतिरक्षण अभियान
इस कार्यक्रम के तहत 5 वर्ष से कम आयु के सभी बच्चों को पोलियो समाप्त होने तक हर वर्ष दिसम्बर और जनवरी माह में ओरल पोलियो टीके (OPV) की दो खुराकें दी जाती हैं। यह अभियान सफल सिद्ध हुआ है और भारत में पोलियोमाइलिटिस की दर में काफी कमी आई है।
पल्स पोलियो इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम (PPIP) 1988 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) द्वारा पोलियो के उन्मूलन के बाद भारत ने 1955 पल्स पोलियो टीकाकरण कार्यक्रम शुरू किया, जिसका लक्षण 100 प्रतिशत कवरेज देना था। स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार देश में पोलियो का आखिरी मामला 13 जनवरी 2011 को पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले में पाया गया था।
राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (National Rural Health Mission)
ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन योजना क्या है?
राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन : (NHRM) का आरम्भ केंद्र सरकार द्वारा 12 अप्रैल वर्ष 2005 में देश के ग्रामीण क्षेत्रों में रह रहे नागरिकों को सुरक्षित स्वास्थ्य प्रदान करने हेतु जारी किया गया मिशन है, इस मिशन के अंतर्गत सरकार देश के आर्थिक रूप से कमजोर परिवार जिनकी आर्थिक स्थिति अच्छी ना होने के कारण उन्हें बेहतर .
राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रम कौन कौन से हैं?
प्रजनन, मातृ, नवजात, बाल एवं किशोर स्वास्थ्य
- जननी सुरक्षा योजना (जेएसवाई)
- राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यकम (आरकेएसके)
- राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके)
- मिशन इंद्रधनुष
- जननी सुरक्षा योजना (जेएसवाई)
- प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए)
- नवजात शिशु सुरक्षा कार्यक्रम (एनएसएसके)
नेशनल रूरल हेल्थ मिशन (NRHM) को 2005 में लॉन्च किया गया। इस मिशन का मुख्य लक्ष्य ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों खासतौर पर कमजोर परिवारों को सुलभ, सस्ती और अच्छी गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना है। जारी दिशानिर्देशों के अनुसार इस योजना को लागू करने के मूल उद्देश्य शिशु मृत्यु दर और मातृ मृत्यु दर में कमी लाना है।
मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता (Accredited Social Health Activist) Happy independence day 2022
आशा कार्यकर्ता कौन सी श्रेणी में आती है?
मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता (अंग्रेज़ी: Accredited Social Health Activist) जिसे संक्षेप में आशा भी कहते हैं, भारत में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा प्रायोजित जननी सुरक्षा योजना से संबद्ध एक ग्रामीण स्तर की कार्यकर्त्री है।
आशा का काम क्या होता है?
आशा गाँव के स्वास्थ्य विकास हेतु बीमारियों से बचाव तथा स्वास्थ्यवर्धन के कार्य करती है। * ग्राम स्वास्थ्य एवं पोषण दिवस को आयोजित करने में आशा की प्रमुख भूमिका है। इस दिन बच्चों को टीकाकरण के लिए केन्द्र लाना, माता तथा गर्भवती स्त्रियों को आंगनबाड़ी केन्द्र लाकर उनकी जांच तथा स्वास्थ्य षिक्षा करने में मदद करना।
एक्रेडिटेड सोशल हेल्थ एक्टिविस्ट (ASHA) जिन्हें आशा वर्कर भी कहा जाता है। यह भी नेशनल रूरल हेल्थ प्रोग्राम का एक हिस्सा है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा आशा कार्यकर्ताओं को नियोजित किया जाता है। यह भी उल्लेखनीय है कि आसा कार्यकर्ताओं ने कोविड 19 महामारी के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। ग्लोबल हेल्थ एजेंसी ने आशा कार्यकर्ताओं को सरकार के स्वास्थ्य कार्यक्रमों से जोड़ने के प्रयास की सराहना की थी।
नेशनल हेल्थ प्रोटेक्शन मिशन (National Health Protection Mission)
नेशनल हेल्थ प्रोटेक्शन मिशन के अंतर्गत आयुष्मान भारत और प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PMJAY) योजनाएं आती हैं। इन योजनाओं के अंतर्गत 10 करोड़ गरीब और कमजोर परिवारों (यानी लगभग 50 करोड़ लोगों) को माध्यमिक और तृतीयक देखभाल अस्पताल में भर्ती होने पर सालाना 5 लाख तक की कवरेज प्रदान की गई। PM-JAY योजना का लक्ष्य प्रति परिवार को 5 लाख रुपए वार्षिक कैशलेस स्वास्थ्य बीमा प्रदान करना है, जिसमें लगभग 1300 बीमारियों पर कवरेज प्रदान की जाए।